Thursday, 30 January 2025

कवि चन्द वरदाई कृत जवलामुखी री स्तुति

    कवि चन्द वरदाई कृत जवलामुखी री स्तुति
                    


                         दोहा
चिंता विघन विनाशनी, कमलासनी शकत्त।
वीसहथी हॅस वाहनी, माता देहु सुमत्त॥1॥
छन्द भुजंगप्रयातम्



नमो आदि अन्नादि तूंही भवानी।
तुंही जोगमाया तूंही बाक बानी।
तुंही धर्नि आकाश विभो पसारे।
तुंही मोह माया बिखे शूल धारे॥1॥
तुंही चार वेदं खटं भाष चिन्ही।
तुंही ज्ञान विज्ञान मै सर्व भीनी।
तुंही वेद विद्या चऊदे प्रकाशी।
कला मंड चोवीस की रूप राशि॥2॥
तुंही रागनी राग वेदं पुराणम।
तुंही जन्त्र मे मन्त्र में सर्व जाणम।
तुंही चन्द्र मे सूर्य मे एक भासै।
तुंही तेज में पुंज मै श्री प्रकाशै॥3॥
तुंही सोखनी पोखनी तीन लोकं।
तुंही जागनी सोवनी दूर दोखं।
तुंही धर्मनी कर्मनी जोगमाया।
तुंही खेचरी भूचरी वज्रकाया ॥ 4॥
तुंही रिद्धि की सिद्धि की एक दाता।
तुंही जोगिनी भोगिनी हो विधाता।
तुंही चार खानी तुंही चार वाणी।
तुंही आतमा पंच भूतं प्रमाणी॥5॥
तुंही सात द्वीपं नवे खंड मंडी।
तुंही घाट ओघाट ब्रह्मंड डंडी।
तुंही धर्नि आकाष तूं बेद बानी।
तुंही नित्य नौजोवना हो भवानी॥6॥
तुंही उद्र में लोक तीनूं उपावे।
तुंही छन्न में खान पानं खपावे।
तुंही एक अन्नेक माया उपावे।
तुंही ब्रह्म भुतेष विष्णु कहावे॥7॥
तुंही मात हो एक ज्योती स्वरूपं।
तुंही काल महाकाल माया विरूपं।
तुंही हो ररंकार ओंकार बाणी।
तुंही स्थावरं जंगमं पोख प्राणी॥8॥
तुंही तूं तुंही तुं तुंही एक चण्डी।
हरी शंकरी ब्रह्म भासे अखण्डी।
तुंही कच्छ रूपं उदद्धी बिलोही।
तुंही मोहिनी देव दैतां विमोही॥9॥
तुंही देह वाराह देवी उपाई।
तुंही ले धरा थंभ दाढां उठाई।
तुंही विप्रहू में सुरापान टार्यो।
तुंही काल बाजी रची दैत मार्य॥10॥
तुंही भारजा इंद्र को मान मार्यो।
तुंही जाय के भ्रग्गु को गर्व गार्यो।
तुंही काम कल्ला विखे प्रेम भीनी।
तुंही देव-दैतां दमी जीत दीनी ॥11॥
तुंही जागती जोति निंद्रा न लेवे।
तुंही जीत देनी सदा देव सेवे।
अजोनी न जोनी उसासी न सासी।
न बैठी न ऊभी न पोढ़ी प्रकासी॥12॥
न जागे न सोवे न हाले न डोले।
गुपत्ती न छत्ति करंति किलोले।
भुजाळं विशालं उजाळं भवानी।
कृपालं त्रिकालं करालं दिवानी॥13॥
उदानं अपानं अछेही न छेही।
न माता न ताता न भ्राता सनेही।
विदेही न देही न रूपा न रेखी।
न माया न काया न छाया विषेखी॥14॥
उदासी न आसी निवासी न मंडी।
सरूपा विरूपा न रूपा सुचंडी।
कमंखा न संखा असंखा कहानी।
हरींकार शब्दं निरंकार बानी ॥15॥
नवोढा न प्रौढा न मुग्धा न बाली।
करोधा विरोधा निरोधा कृपाली।
अभंगा न अंगा त्रिभंगा न जानी।
अनंगा न अंगा सुरंगा पिछानी ॥16॥
शिखर पै फुहारो असो रूप तोरो।
अजोनी सुपावों कटे फंद मोरो।
पढ़े चंद छन्दं अभै दान पाऊं।
निशा वासरं मात दुर्गे सुध्याऊं॥17॥
सुनी साधुकी टेर धाओ भवानी।
गजं डूबते ही ब्रजंराज जानी।
भजे खेचरी भूचरी भूत प्रेतं।
भजे डाकिनी शाकिनी छोड़ खेतं।॥18॥
पढे जीत देनी सबै दैत नाशं।
भजे किंकरी शंकरी काल पाशं।
भजे तोतला जंत्र मंत्रं बिरोळे।,
भजे नारसिंगी बली बीर डोले॥19॥
निशा वासरं शक्ति को ध्यान धारे।
सु नैनं करी नित्य दोषं निवारे।
करी वीनती प्रेमसो भाट चंदं।
पढ़ंते सुनंते मिटे काल फंदं ॥20॥
तुंही आदि अन्नादि की एक माया।
सबे पिण्ड ब्रह्मांड तुंही उपाया।
तुंही बीर बावन्न वंदे सुभारी।
तुंही वाहनी हंस देवी हमारी॥21॥
तुंही पंच तत्वं धरी देह तारी।
तुंही गेह गेहं भई शील वारी।
तुंही शैलजा श्री सावित्री सरूपी।
तुंही शिव विष्णू अजं थीर थप्पी ॥22॥
तुंही पान कुंभं मधुपान करनी।
तुंही दुष्ट घातीन के प्रान हरनी।
तुंही जीव तूं शिव तूं रीत भर्नी।
तुंही अंतरीखं तुंही चीर धर्नी॥23॥
तुंही वेद में जीव रूपं कहावे।
निराधर आधार संसार गावे।
तुंही त्रिगुणी तेज माया लुभाणी।
तुंही पंच भूतं नमस्ते भवानी ॥24॥
नमोॐकार रूपे कल्यानी कमल्ला।
कलारूपं तूं कामदा तूं विमल्ला।
कुमारी करूणा कमंख्या कराली।
जया विज्जया भद्रकाली किंकाली॥25॥
शिवा शंकरी विश्व विमोहनीयं।
वराही चामुण्डा द्रुगा जोगनीयं।
महालच्छमी मंगला रत्त अख्खी।
महा तेज अंबार जालंद्र मख्खी ॥26॥
तुंही गंग गोदावरी गोमतीयं।
तुंही नर्मदा जम्मना सर्सतीयं।
तुंही कोटि सूरज्ज तेजं प्रकाशी।
तुंही कोटि चंदाननं जोत भासी॥27॥
तुंही कोटिधा विश्व आकाश धारे।
तुंही कोटि सुमेरू छाया अपारे।
तुंही कोटि दावानलं ज्वालमाला।
॥तुंही कोटि भयभीत रूपं कराला ॥28॥
तुंही कोटि श्रृंगार लावण्यकारी।
तुंही राधिका रूप रीझे मुरारी।
तुंही विश्व कर्ता तुंही विश्व हर्ता।
तुंही स्थावंर जंगमं में प्रवर्ता ॥29॥
द्रुगामां दुरीजन्न वंदे न आयं।
जपे जाप जालंदरी तो सहायं।
नमस्ते नमस्ते सु जालेन्द्र रानी।
सुरं आसुरं नाग पूजंत प्रानी ॥30॥
नमोंकार रूपे सु आपे बिराजे।
क्लींकार ह्रींकार ॐकार छाजे।
ओहंकार देवी सोहंकार भासं।
श्रियंकार हूंकार त्रींकार वासं॥31॥
तुंही पातकां नाशनी नारसींगी।
तुंही जोगमाया अनेका सुरंगी।
तुंही तूं ज जाने सु तोरो चरीतं।
कहां में लखों चंद तोरी सुक्रीतं ॥32॥
अपारं अनंतं जुगं रूप जानी।
नमस्ते नमस्ते नमस्ते भवानी।
नमो ज्वाला ज्वालामुखी तोहि ध्यावे।
अभय सिघ्र वरदान को चंद पावे॥33॥
कहांलो बखानूं लघू बुद्धी मेरी।
पतंगी कहा सूर साम्हे उजेरी।
रति है तुम्हारी मति है तुम्हारी।
चिति है तुम्हारी गति है तुम्हारी॥34॥
जुगं हाथ जोरी कहे चंद छंदं।
हरो भक्त के दुःख आनंदकंदं।
हिये में बिरजो करो आप बानी।
नमस्ते नमस्ते नमस्ते भवानी॥35॥
                    
                      दोहा
करि विनती यूं बंदिजन, सनमुख रहो सुजान।

प्रकट अम्बिका यूं कहयो, मांग चंद वरदान ॥1

Friday, 10 February 2023

कबीर अमृतवाणी Kabir amarutvani





गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय
बलीहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताई ।।

यह तन विष की बेलरी गुरु अमृत की खान 
शीश दियो गुरु मिले तो भी सस्ता जान ।।

सब धरती कागज करू लेखनी सब वनराई
सात समुद्र की मशी करू गुरु गुण लिखा न जाय ।।

ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए
औरन को शीतल करे आप हु शीतल होय ।।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर 
पंथी को साया नही फल लागे अति दूर ।।

निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाई
बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुहाए।।

बुरा जो देखन में चला बुरा न मिलिया कोई
जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोई ।।

दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे कोई
जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे होई ।।

माटी कहे कुंभार से तु क्यूं रोंदे मोय
एक दिन ऐसा आयेगा में रोंदुगी तोय।।

पानी केरा बुदबुदा असमानस की जात
देखत ही चुप जायेगा जो सारा परभात ।।

चलती चक्की देख कर दिया कबीरा रोई
दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोई ।।

मालिन आवत देख के कलीयन करे पुकार
फूले फूले चुन लिए कली हमारी बार ।।

मन के मते न चालिए मन के मते अनेक
जो मन पर अवसार नही हे साधु कोई एक ।।

मनवा तो पंछी भया उड़के चला आकाश
ऊपर ही ते गिर पड़ा या माया के पास ।।

माया मुई ना मन मुआ मरी मरी गया शरीर
आशा तृष्णा ना मुई यूं कह गया कबीर ।।

कबीर माया पापीणी हरिशु करे हराम
मुकी कढ़ाई कुमति की कहा न देई राम ।।

मेरा मुजमे कुछ नही जो कुछ ही सो तेरा 
तेरा तुजाको सोप दे क्या लागे हे मेरा ।।

तेरा साई तुजमे हे ज्यों पहपन में बात 
कस्तूरी का हिरण ज्यों फिर फिर ढूंढे घास ।।

कबीरा गर्व न कीजिए कबहू ना हसिये कोई 
अजय नाव समुद्र में का जाने का होई ।।

करता था तो क्यों रहा अब करी क्यों पछताय
बोए पेड़ बबुल का अमवा कहा से पाय ।।

कबीरा सो धन संचिए जो आगे को होई 
शीश चढ़ाए पार ले जाते न देखिया कोई ।।

जीही घट प्रीत ना प्रेम रस उन्ही रस ना ही राम 
ते नर इस संसार में उपज भए बेकाम ।।

काल करे सो आज कर आज करे सो अब
पल में परलय होएगी बहुरी करेगा कब ।।

ज्यों तिल माही तेल हे ज्यों चकमक में आग
तेरा साई तुजमे हे जाग सके तो जाग ।।

जहा दया तहां धर्म हे जहा लोभ वहा पाप 
जहा क्रोध वहा काल हे जहा क्षमा वहा आप ।।

जो घट प्रेम न संचरे सो घट जान समान
जैसे खाल लुहार की सास लेत बिनु प्राण ।।

जल में बसे कामोदिनी चंदा बसे आकाश
जो हे जाको भावता सो ताहि के पास ।।

जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ग्यान
मोल करो तलवार का पड़ी रहेन दो म्यान ।।

जग में बैरी कोई नही जो मन शीतल होय 
ये आपा तो टाल दे दया करे सब कोई ।।

ए दिन गए अकारथी संगत भई न संत 
प्रेम बिना पशु जीव ना शक्ति बिना भगवंत ।।

तीरथ गए से एक फल संत मिले फल चार 
संतगुरु मिले अधिक फल कहे कबीर विचार ।।

तन को जोगी सब करे मन को बिरला कोई 
सहेजे सब विधि पाइए जो मन जोगी होई ।।

प्रेम ना बारी उपजे प्रेम ना हाट बिकाय
राजा परजा जोही रुचे शीश देय ले जाय ।।

जो घर साधु ना पुजये घर की सेवा नाही
ते घर मरघट सा लगे भूत बसे दिन माही ।।

साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुहाय
सार सार को गही रहे थोथा देय उड़ाए ।।

पाछे दिन पाछे गए हरी से कियो न हेत
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।।

उजला कपड़ा पहेन के पान सुपारी खाही
एक हरी के नाम बिन बांधे जमकुरी नाही ।।

Tuesday, 27 September 2022

SOVA વાયરસ શું છે: બેંકો ગ્રાહકોને બેંકિંગ એપને નિશાન બનાવતા વાયરસ અંગે ચેતવણી આપે છે

SOVA એન્ડ્રોઇડ ટ્રોજન કેવી રીતે કામ કરે છે?
SOVA ટ્રોજન પર PNB વેબસાઇટની નોંધ અનુસાર, “મોલવેર મોટાભાગના એન્ડ્રોઇડ બેંકિંગ ટ્રોજનની જેમ સ્મિશિંગ (એસએમએસ દ્વારા ફિશિંગ) હુમલાઓ દ્વારા વિતરિત કરવામાં આવે છે. એકવાર ફોન પર નકલી એન્ડ્રોઇડ એપ્લિકેશન ઇન્સ્ટોલ થઈ જાય, તે લક્ષ્યાંકિત એપ્લિકેશનોની સૂચિ મેળવવા માટે તે ઉપકરણ પર ઇન્સ્ટોલ કરેલી બધી એપ્લિકેશનોની સૂચિ C2 (કમાન્ડ અને કંટ્રોલ સર્વર) ને ધમકી આપનાર દ્વારા નિયંત્રિત કરે છે. આ સમયે, C2 માલવેરને દરેક લક્ષિત એપ્લિકેશન માટે સરનામાંઓની સૂચિ પાછી મોકલે છે અને આ માહિતીને XML ફાઇલમાં સંગ્રહિત કરે છે. આ લક્ષિત એપ્લિકેશનો પછી માલવેર અને C2 વચ્ચેના સંચાર દ્વારા સંચાલિત થાય છે.

PNB વેબસાઇટ અનુસાર માલવેર નીચેના કાર્યો કરવા સક્ષમ છે:
કીસ્ટ્રોક એકત્રિત કરો
કૂકીઝ ચોરી
ઇન્ટરસેપ્ટ મલ્ટિ-ફેક્ટર ઓથેન્ટિકેશન (MFA) ટોકન્સ
વેબકેમમાંથી સ્ક્રીનશોટ લો અને વિડિયો રેકોર્ડ કરો
Android ઍક્સેસિબિલિટી સેવાનો ઉપયોગ કરીને સ્ક્રીન ક્લિક, સ્વાઇપ વગેરે જેવા હાવભાવ કરો
કોપી/પેસ્ટ કરો
· એપ્લિકેશન્સની શ્રેણીમાં ખોટા ઓવરલે ઉમેરવું
· 200 થી વધુ બેંકિંગ અને પેમેન્ટ એપ્લિકેશન્સની નકલ કરો

SOVA અપગ્રેડ
કરે છે “એવું જાણવા મળ્યું છે કે SOVA ના નિર્માતાઓએ તાજેતરમાં તેને તેની શરૂઆતથી તેના પાંચમા સંસ્કરણમાં અપગ્રેડ કર્યું છે, અને આ સંસ્કરણ Android ફોન પરના તમામ ડેટાને એન્ક્રિપ્ટ કરવાની અને તેને ખંડણી માટે પકડી રાખવાની ક્ષમતા ધરાવે છે. SOVA ની અન્ય મુખ્ય વિશેષતાઓ તેના "પ્રોટેક્શન્સ" મોડ્યુલનું રિફેક્ટરિંગ છે, જેનો હેતુ પીડિતની વિવિધ ક્રિયાઓથી પોતાને બચાવવાનો છે. ઉદાહરણ તરીકે, જો વપરાશકર્તા સેટિંગ્સમાંથી માલવેરને અનઇન્સ્ટોલ કરવાનો પ્રયાસ કરે છે અથવા આયકનને દબાવીને, SOVA આ ક્રિયાઓને અટકાવવામાં સક્ષમ છે અને હોમ સ્ક્રીન પર પાછા આવીને અને ટોસ્ટ (નાનું પોપઅપ) બતાવીને તેને (એક્સેસિબિલિટીના દુરુપયોગ દ્વારા) અટકાવવામાં સક્ષમ છે. ) "આ એપ્લિકેશન સુરક્ષિત છે" પ્રદર્શિત કરે છે. આ હુમલા ઝુંબેશ અસરકારક રીતે સંવેદનશીલ ગ્રાહક ડેટાની ગોપનીયતા અને સુરક્ષાને જોખમમાં મૂકી શકે છે અને પરિણામે મોટા પાયે હુમલાઓ અને નાણાકીય છેતરપિંડી થઈ શકે છે,

કેનેરા બેંકે પણ તેના ગ્રાહકોને SOVA એન્ડ્રોઇડ ટ્રોજન વિશે ચેતવણી આપી હતી અને તેના ગ્રાહકોને કોઈપણ ઘટનાના કિસ્સામાં hoisg@canarabank.com અથવા cisco@canarabank.com પર જાણ કરવા જણાવ્યું હતું.

મંજૂરી આપે છે.
ફક્ત તે URL પર ક્લિક કરો જે સ્પષ્ટપણે વેબસાઇટ ડોમેન દર્શાવે છે. જ્યારે શંકા હોય ત્યારે, વપરાશકર્તાઓ તેઓ મુલાકાત લીધેલી વેબસાઇટ કાયદેસર છે તેની ખાતરી કરવા માટે તેઓ સીધા જ સર્ચ એન્જિનનો ઉપયોગ કરીને સંસ્થાની વેબસાઇટ શોધી શકે છે.
તમારા એન્ટીવાયરસ, ફાયરવોલ અને ફિલ્ટરિંગ સેવાઓમાં સેફ બ્રાઉઝિંગ ટૂલ્સ, ફિલ્ટરિંગ ટૂલ્સ (એન્ટિવાયરસ અને કન્ટેન્ટ આધારિત ફિલ્ટરિંગ) નો ઉપયોગ કરવાનું વિચારો.
bit.ly અને tinyurl જેવા ટૂંકા URLs પ્રત્યે સાવધાની રાખો. વપરાશકર્તાઓને સલાહ આપવામાં આવે છે કે તેઓ જે વેબસાઈટની મુલાકાત લઈ રહ્યાં છે તે સંપૂર્ણ વેબસાઈટ ડોમેન જોવા માટે (જો શક્ય હોય તો) ટૂંકા URL પર તેમના કર્સરને હોવર કરો અથવા URL તપાસનારનો ઉપયોગ કરો જે વપરાશકર્તાને ટૂંકું URL દાખલ કરવા અને સંપૂર્ણ URL જોવાની મંજૂરી આપશે. વપરાશકર્તાઓ સંપૂર્ણ URL નું પૂર્વાવલોકન જોવા માટે શોર્ટનિંગ સેવા પૂર્વાવલોકન સુવિધાનો પણ ઉપયોગ કરી શકે છે.
કોઈપણ સંવેદનશીલ માહિતી જેમ કે વ્યક્તિગત વિગતો અથવા એકાઉન્ટ લોગિન વિગતો પ્રદાન કરતા પહેલા, બ્રાઉઝરના સરનામાં બારમાં લીલા લોક માટે તપાસ કરીને માન્ય એન્ક્રિપ્શન પ્રમાણપત્રો માટે જુઓ.
ગ્રાહકે વધુ યોગ્ય પગલાં લેવા માટે તેમના ખાતામાં કોઈપણ અસામાન્ય પ્રવૃત્તિની જાણ તરત જ સંબંધિત વિગતો સાથે બેંકને કરવી જોઈએ.

84 nu khatu,

સૌથી પેહલા તો એ સમજીયે આ ચોર્યાસી નું ખાતું કોને કેવાય તો...પાંચ આખરીયો એકવીસ ના દાણે હાલે. એની હારે એકવીસ દેવ ભેળાં હોય.
ખીમડીયો એકવીસ દાણે હાલે એની હારે એકવીસ દેરા હોય.
રાવો એની સાથે એકવીસ નું ઝુંડ હોય. 
અજમેરીયા દાદા ના ખાતામા એકવીસ દેવ હોય.
આ ચાર એકવીસ વાળા ભેગા થાય ને તો એને ચોર્યાશી નું ખાતું કેવાય અને જ્યા આ ચોર્યાંશી નું ખાતું ખુલુ હોય ન્યા સારાં સારાં ના પાણી નીકરી જાય ને આ કોય ના બાપ થી નો બંધાય...
બંધાય એક મારી મેલડી થી પસી એ ઉગતપોર ની હોય , મશાણી હોય , બાળખાય હોય , નનામી હોય , કે મારી વિસામા મા પાણા ની મેલડી હોય કારણ કે આતો મારી મેલડીની જોળીના રમકડા કેવાય...
મારી મેલડી ના કંડીયા ના દેવ કેવાય...
મારી મેલડી તો ચોર્યાસી ખાતા ની ધણી કેવાય...
એ જે ચોર્યાસી સિદ્ધ આ પ્રમાણે છે.

                     # ચોર્યાસી સિદ્ધ #
(૧) ચામુંડા
(૨) વહાણવટી
(૩) મોગલ
(૪) ખોડીયાર
(૫) બુટ
(૬) બલાળ
(૭) બૈચરી
(૮) કાળી
(૯) 
(૧૦) મહાકાળી
(૧૧) મોમાય
(૧૨) વીર જેત નરસંગ
(૧૩) વીર ત્રાડ નરસંગ
(૧૪) વીર કાળભૈરવ
(૧૫) વીર આકાશીભૈ
(૧૬) વીર બટુકભૈરવ
(૧૭) પંચ મુખીહનુમાન
(૧૮) વીર દશનામીહનુમાન
(૧૯) વીર બંગાળીહનુમાન
(૨૦)વીર રોકડીયોહનુમાન
(૨૧) વીર લંગડીયોહનુમાન
(૨૨) વીર સીંદુરીયોહનુમાન
(૨૩) વીર પાંચઆખરીયો
(૨૪) અધીઆખરી
(૨૫) સુર્યમુખી રાવો
(૨૬) વીર ખીમડીયો
(૨૭) વીર ભીમડીયો
(૨૮) કામથીયો વીર
(૨૯) રગતયો વીર
(૩૦) હેડકીયો વીર
(૩૧) ડાદમીયો વીર
(૩૨)રવલો વીર
(૩૩) આગ્યો વીર
(૩૪) વીર વૈતાળ
(૩૫) બોડીયોગણેશ
(૩૬) મોતેહરોગણેશ
(૩૭) દામોદરગણેશ
(૩૮) ગડ ગુમડીયોગણેશ
(૩૯) નાધેરીગણેશ
(૪૦) હુગણીયોગણેશ
(૪૧) જાસદેવગણેશ
(૪૨) રિધ્ધિ સિધ્ધિ ગણેશ
(૪૩) વીર અજમેરીયો
(૪૪)વીર મેમદો
(૪૫)વીર અઠો પઠોપીર
(૪૬) સિધ્ધ જોગીડો
(૪૭) અધોરીબાવો
(૪૮) ભુતડો
(૪૯) વીર વાસડો
(૫૦) વીર માગડો
(૫૧) બાબરોભુત
(૫૨) ભેસાષુર
(૫૩) ખવી
(૫૪) મામો
(૫૫) ખેતલો નાગ
(૫૬) ત્રાડીયો નાગ
(૫૭) સરમાળીયો નાગ
(૫૮) વીર હુરધન
(૫૯) વીર રણખાંભી વાળો હુરોપુરો
(૬૦) બાળા હુરધન
(૬૧) પીતૃ
(૬૨) લીલ્યો
(૬૩) મેલો ભંગ્યો
(૬૪) મેલી ભંગ્યાણી
(૬૫) ચાર રસ્તા ની સુડ
(૬૬) મેલા મસાણ ની સામઠી
(૬૭) આવાવરુ જગ્યા ની ડાકણ
(૬૮) નુરીયો મહાણી
(૬૯) ભુરીયો વાંજો
(૭૦) ગાંગલી ધાચણ
(૭૧) ફુલબાય
(૭૨) લાલબાય
(૭૩) કેહરબાય
(૭૪) ચારબાય
(૭૫) સતીબાય
(૭૬) ઠુઠીબાય
(૭૭) સિકોતરબાય
(૭૮) મસાણી ડોહલડી
(૭૯) ઝાપડો
(૮૦) ઝાપડી
(૮૧) ધોબીડો
(૮૨) ધોબણ
(૮૩) ઢોલીડો
(૮૪) વાધરણ

                     *# નવ નાથ #*
(૧) મત્સ્યેન્દ્રનાથ   (૨) ગોરખનાથ    (૩) જલંધરનાથ

(૪) કનીફનાથ       (૫) ગહિનીનાથ   (૬)ભરથરીનાથ

(૭) રેવનાનાથ       (૮)નાગનાથ        (૯) ચરપટીનાથ

Wednesday, 10 February 2021

hu dalamatho gujarati...lyricks... હું ડાલામથ્થો ગુજરાતી

Dalamatho Gujrati..Lyric.. 
 હું ડાલામથ્થો ગુજરાતી
હું દરિયા બેટો ગુજરાતી
આત્મગૌરવી કરુણાગામી સાગરપેટો ગુજરાતી.....
પ્રેમ ઘર્મ ને કર્મ કથાનો
મસ્ત મરદડો ગુજરાતી..
નાચે ગાવે કરે હિલોળા
મૂછ મરકડો ગુજરાતી..
સત્ય અહિંસા જીવ દયા ની
રાહ ચીંધતો ગુજરાતી..
હું વેપારી હું પરદેશી
હું વિશ્ર્વ વિંધતો ગુજરાતી..
હું નર્મદ ને હું મેઘાણી
હું નરસૈયો ગુજરાતી..
હેમચંદ્ર ને દયાનંદ છું
હું ગાંધિડો ગુજરાતી..
હું સૃંગારી હું રસભોગી
હું સ્વાદ ચાખતો ગુજરાતી..
દુર વતનથી તોય વતનને યાદ રાખતો ગુજરાતી..
સુર શબ્દ ના તેજ તિખારે
સળગી બળતો ગુજરાતી..
ભજનોના તંબુરા તારે
હું રણઝણતો ગુજરાતી..
ગઢ ગિરનારી હું અલગારી
ધુણી ધખેલો ગુજરાતી..
પુરુષાર્થ ને સતત ઉદ્યમી
ઉત્સવ ઘેલો ગુજરાતી..
હું મીઠડો ને વાતે ડાયો
હું ગળચટ્ટો ગુજરાતી...
ભારતમા ની કટી મેખ પર
સુવર્ણ પટ્ટો ગુજરાતી..
ખોજી પ્યાસી છતા મુત્સદી
હું સિંધુડો ગુજરાતી..
સાંઈ મહોબ્બત જીવન જેનું
હું મધુડો ગુજરાતી..


Lyric : sairam dave
Compose : Dev bhatt

कवि चन्द वरदाई कृत जवलामुखी री स्तुति

    कवि चन्द वरदाई कृत जवलामुखी री स्तुति                                               दोहा चिंता विघन विनाशनी, कमलासनी शकत्त।...